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Monday, August 12, 2019

प्रणय के गीत का पहला शब्द 'प्रेम' !


प्रणय के गीत का पहला शब्द 
'प्रेम',
मेरे अनुनय विनय संबोधन का साक्षी,
सावन के आगमन से हो रहा बेसुध,
जैसे सागर में उठती हैं लहरें,
जैसे पुरवा भीना कर देती आँचल,
जैसे बादलों के सीने से फूटती हैं बौछारें,
ऐसे आज ह्रदय से उठती है उन्मुक्त आशाएँ,


वो ढलते सूरज के धुंधलके में गुम होता दिन..
और मेरी अपने आपसे रूमानी बातें....
फिर छान रही है रात चांदनी मेरे आँगन के नीम से ...
खुली खिड़की अच्छी लगी.....
हर बार सूरज का ढलना अंत नहीं... 'देव'

रेत की डगर....


पगली सी अपने चेहरे पर खींची लकीरों को हवाओं से संवारती है,
चूमती पवन को और लहर लहर बलखाती है,
ये रेत की डगर है
मेरे गांव से,
तेरे शहर बार बार जाती है,
मिट जाती है... 'देव'

©Semant Harish