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An Indian Army Officer retired

Monday, August 12, 2019

प्रणय के गीत का पहला शब्द 'प्रेम' !


प्रणय के गीत का पहला शब्द 
'प्रेम',
मेरे अनुनय विनय संबोधन का साक्षी,
सावन के आगमन से हो रहा बेसुध,
जैसे सागर में उठती हैं लहरें,
जैसे पुरवा भीना कर देती आँचल,
जैसे बादलों के सीने से फूटती हैं बौछारें,
ऐसे आज ह्रदय से उठती है उन्मुक्त आशाएँ,


वो ढलते सूरज के धुंधलके में गुम होता दिन..
और मेरी अपने आपसे रूमानी बातें....
फिर छान रही है रात चांदनी मेरे आँगन के नीम से ...
खुली खिड़की अच्छी लगी.....
हर बार सूरज का ढलना अंत नहीं... 'देव'

रेत की डगर....


पगली सी अपने चेहरे पर खींची लकीरों को हवाओं से संवारती है,
चूमती पवन को और लहर लहर बलखाती है,
ये रेत की डगर है
मेरे गांव से,
तेरे शहर बार बार जाती है,
मिट जाती है... 'देव'

©Semant Harish

Tuesday, March 31, 2015

उसका बचपना नहीं जाता.....!




उसका बचपना नहीं जाता
उस से रहा ही नहीं जाता
वो जिद से उलझी - सुलझी रहती है
वो बिना बात मचलती है
मेरे उसके इस रिश्ते के लिए
उसका यूंही बच्चा बना रहना ही ठीक है शायद
“क्योंकि बड़ों के बीच रिश्ते अकसर, बहुत छोटे होते हैं..”

© 2010 Capt. Semant

Monday, September 9, 2013

केसरिया शाम............!

















बस यूं ही....

कुछ पल ख्वाब के साथ गुज़रे.... 


और ज़िंदगी जी ली मैंने...

देखता ही रहा उसे, मेरे पास होने तक, साथ होने तक, और फिर,

बस देखता रह गया, ‘उसे’, उसके भीड़ में गुम हो जाने तक... 

जैसे गुम होता डूबता सूरज... 

लिपटी रह गयी फिर मुझसे,

केसरिया शाम, उसके केसरी दुप्पटे सी......


© Capt. Semant 2013

Monday, February 18, 2013


हर बार दीवारें सिर्फ इसलिए ही ना चुनी थी कि किसी से फांसला करना था,
कई बार ये भी चाहा कि देखूँ इन्हें गिराता भी है क्या कोई.... ~सेमन्त~

Tuesday, January 29, 2013

प्रीत कभी मरती नहीं...

मुझे मालूम है और तुम भी जान गए हो, कि,
प्रीत कभी मरती नहीं...
बस मुरझा जाती है,
बसंत के बाद फूल झडे पेड़ों को पानी पिलाना भूले - तुम भी , मैं भी,
फिर ये भूलने की भूल स्वीकार भी नहीं कर पाए - तुम भी , मैं भी....
अब तुम मान जाओ तो , हम मिलकर ,
चलो एक बार फिर,
अपने आँगन के बगीचे में जाते हैं ,
क्यारियों में गिरी गुलाबों की हर पंखुड़ी चुन ले आते हैं,
फिर से घर महकाते हैं.......

बस यूं ही....एक बात कहनी थी तुमसे,
मैंने कल रात भर ,
रात !
तुम्हारा हाथ अपने हाथ में ले गुजारी है....
अपने ख्वाब में..... !
© 2013 Capt. Semant