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An Indian Army Officer retired

Monday, August 12, 2019

रेत की डगर....


पगली सी अपने चेहरे पर खींची लकीरों को हवाओं से संवारती है,
चूमती पवन को और लहर लहर बलखाती है,
ये रेत की डगर है
मेरे गांव से,
तेरे शहर बार बार जाती है,
मिट जाती है... 'देव'

©Semant Harish

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