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An Indian Army Officer retired

Monday, September 5, 2011

एक बादल...


यूं तो हो कि  उसके होने का अहसास हरदम बना रहे 
वो दूर ही सही उसका स्पर्श बना रहे
वो अपनी छत पर हर सुबह काली ज़ुल्फ़ लहराता रहे
एक बादल हर रात मुझमें चांदनी छानता रहे

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