कुछ अनछुई ज़िंदगी
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Capt Semant
An Indian Army Officer retired
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Saturday, September 10, 2011
निगाह छलने लगे तो ठीक...
वरना बरसते मौसम में भीगी किताब के पन्ने मुड़े मुड़े से .....
सूखे फूलों की कहानी का हिसाब करते रहते हैं....
सवाल जवाब गर्द के आगोश में दबे रहते हैं...
कुछ नहीं कहते पर कुछ तो कहते हैं....
1 comment:
Shanno Aggarwal
September 12, 2011 at 9:56 AM
सुंदर रोमांटिक रचना....
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सुंदर रोमांटिक रचना....
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