कल रात अपनी ‘तन्हाई’ से ये कहना भूल गया कि,
मैं अकेला हूँ,
बस ये बात छुपी नहीं और तुम्हारी यादों ने घेर लिया,
रात भर उन दो पलों की मुलाकातों के ढेर सारे फूल पिरोते रहे,
मैं और तुम्हारी याद,
फिर बिखर गया चांदनी की चादर पर स्वप्न का सिन्दूर....
बस यूं ही,
फिर एक बार, बिखर गया चांदनी की चादर पर स्वप्न का सिन्दूर....
और ! ये बात मैंने मान ली,
कि यादें !
तुम्हारे, मेरे और गुज़रे पलों के बीच एक पगडंडी हैं.....
© 2012 Capt. Semant
मैं अकेला हूँ,
बस ये बात छुपी नहीं और तुम्हारी यादों ने घेर लिया,
रात भर उन दो पलों की मुलाकातों के ढेर सारे फूल पिरोते रहे,
मैं और तुम्हारी याद,
फिर बिखर गया चांदनी की चादर पर स्वप्न का सिन्दूर....
बस यूं ही,
फिर एक बार, बिखर गया चांदनी की चादर पर स्वप्न का सिन्दूर....
और ! ये बात मैंने मान ली,
कि यादें !
तुम्हारे, मेरे और गुज़रे पलों के बीच एक पगडंडी हैं.....
© 2012 Capt. Semant
भावनाओं की सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteits so touching
ReplyDeleteoh wow ! very nice!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया अभिव्यक्ति को दिल को छू लेने वाली लाइने...
ReplyDeleteMemories perhaps moments🤔🤔 are always a treasure🤗🤗🤗😊
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