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An Indian Army Officer retired

Thursday, July 21, 2011

तू यूं ही रोज......

तू यूं ही रोज मेरी गलियों से ऐसा ही कुछ कहते हुए गुजरा कर...
मैं इन्तेज़ार में दिनभर इन्तेज़ार के लम्हे इन कागजों पर समेटता रहूँगा..
पहले इन्तेज़ार में ना सूखेंगे ये और फिर बहते रहेंगे तेरे जाने के बाद .....

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