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An Indian Army Officer retired

Thursday, July 28, 2011

प्रणय के गीत का पहला अक्षर ..........


प्रणय के गीत का पहला अक्षर
"प्रेम",
मेरे अनुनय विनय संबोधन का साक्षी
सावन के आगमन से हो रहा बेसुध 

जैसे सागर में उठती हैं लहरें
जैसे पुरवा भीना कर देती आँचल
जैसे बादलों के सीने से फूटती हैं बौछारें
ऐसे आज ह्रदय से उठती है उन्मुक्त आशाएँ
वो ढलते सूरज के धुंधलके में गुम होता दिन..
और मेरी अपने आपसे रूमानी बातें....
फिर छान रही है रात चांदनी मेरे आँगन के नीम से ...
खुली खिड़की आज अच्छी लगी.....
हर बार सूरज का ढलना अंत नहीं...

1 comment:

  1. Ji bilkul sahee.Har baar sooraj ka dhalna ant nahin....

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