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An Indian Army Officer retired

Monday, July 25, 2011

ये यूँ ही बार बार.....




ये यूँ ही बार बार, मेरे सपनों के शहर में तुम्हारा आना जाना....
ये तपती हुई धूप में तुम्हारा बादल सा छा जाना ....
मैं जानती हूँ ....
इन प्यार के ख्यालों के बीच धुंधलका रह नहीं सकता
तेरा वजूद किसी कोहरे में छुप नहीं सकता......

3 comments:

  1. @Bharti Tiwari Sharma ... शुक्रिया...

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  2. अजनबी .... एक ऐसी कल्पना है हाँ सच उसका वजूद नहीं छुप सकता...

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