कुछ अनछुई ज़िंदगी
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Capt Semant
An Indian Army Officer retired
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Tuesday, December 20, 2011
जो अपना घर बुहारा...
घर लौट के आया हूँ यही घर है हमारा
परदेस बस गए तो कोई तीर न मारा
सुविधाओं को खाएं पियें ओढ़ें भी तो कब तक
अपनों के बिना होता नहीं अपना गुज़ारा
वसुधा कुटुंब है मगर पहले कुटुंब है
दुनिया चमक उठेगी जो अपना घर बुहारा...
2 comments:
Unknown
May 15, 2014 at 10:03 PM
so very true! touched!
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सुखवीर सिंह
November 30, 2016 at 7:24 PM
सही कहा साहब आपने,।
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so very true! touched!
ReplyDeleteसही कहा साहब आपने,।
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