कुछ अनछुई ज़िंदगी
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Capt Semant
An Indian Army Officer retired
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Monday, September 9, 2013
केसरिया शाम............!
बस यूं ही....
कुछ पल ख्वाब के साथ गुज़रे....
और ज़िंदगी जी ली मैंने...
देखता ही रहा उसे, मेरे पास होने तक, साथ होने तक, और फिर,
बस देखता रह गया, ‘उसे’, उसके भीड़ में गुम हो जाने तक...
जैसे गुम होता डूबता सूरज...
लिपटी रह गयी फिर मुझसे,
केसरिया शाम, उसके केसरी दुप्पटे सी......
© Capt. Semant 2013
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