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An Indian Army Officer retired

Saturday, September 10, 2011


निगाह छलने लगे तो ठीक...
वरना बरसते मौसम में भीगी किताब के पन्ने मुड़े मुड़े से ..... 
सूखे फूलों की कहानी का हिसाब करते रहते हैं.... 
सवाल जवाब गर्द के आगोश में दबे रहते हैं...
कुछ नहीं कहते पर कुछ तो कहते हैं....

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