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An Indian Army Officer retired

Sunday, November 13, 2011

वो भावनाओं में कुछ रीती सी है....


वो भावनाओं में कुछ रीती सी है,
दिल में कुछ
दिमाग में कुछ
जुबां पर कुछ,  
उसके दिल का दिमाग से,
दिमाग का जुबां से रिश्ता, 
शायद उसके बस में नहीं अब 
वो संवाद क्या करे,
वो अपने ही भाव नहीं पढ़ पाती आजकल 
अब उस भीड़ में अकेली को, 
अर्थहीन शब्द, औपचारिक संवाद,....
सुनने की आदत हो गयी है,
रिश्तों की भीड़ में बस एक अपना ढूंढती थक चुकीं उसके मन की आंखें, 
बोझिल हो अब सो गयी हैं....

3 comments:

  1. kaise Jadugar ho...?

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  2. Kon ho tum Anonymous??????

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  3. Jan kar kya karo...
    hum ajnabi tum bhi ajnabi
    .... anjaan si duniya main...
    viraan si zindagi main,,,,
    hum akle the aur hain abhi....

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