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An Indian Army Officer retired

Wednesday, November 9, 2011

उसने फूलों से फरेब खाया है.....



वो खुशबूओं के शहर से आती है,
इस लिए हवा उसे बहुत जल्द उड़ा ले जाती है,
उसने फूलों  से  फरेब खाया है  
शीशे की  कैद  में अपना मकाँ बनाया है
रहे महफूज़ चाहे वो सिमटी सी इन दीवारों में,
खुशबू है वो उसकी दुनिया तो  है बहारों में,
उसकी फितरत है बिखरना 
और महक छोड़ जाना 
इक दिन बाहर उसे होगा आना 
दूर तलक होगा जाना  

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