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An Indian Army Officer retired

Wednesday, November 9, 2011



आज उन्हें जी कहकर पुकारा तो उन्हें अच्छा लगा 
बड़े लोगों को अपना  सम्मान अच्छा लगा,
मैंने ख्वाब बुन लिया था  उनसे दोस्ती का 
टूटा  मगर, 
अपना सामान था
उसका हर टुकड़ा समेटना अच्छा लगा

1 comment:

  1. भावनात्मक पंक्तियाँ
    बहुत सुन्दर !

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