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An Indian Army Officer retired

Tuesday, May 10, 2011


दर्द दिल से जुदा कहाँ होता है,
अश्रु मछलियों के कहाँ सूख पाते हैं,
कभी फूल भी जुदा हुए हैं काँटों से,
जुदा खुशबु भी नहीं फूलों से,
पेड़ों के नाम रख लिए हमने ,
छाँव को किस नाम से बांटोगे,
लहरों की तरह बह रही है मय,
मृगमरीचिका को जाम में कैसे बंधोगे,
ज़िंदगी एक शाम की तरह ढल जायेगी
चलो अपनी परछाईयाँ कुछ लंबी कर लें..
आज हम एक दूसरे के लिए कुछ कर लें...
हाथ पकड़ लें,
कुछ दूर साथ चल लें...

© 2011 कापीराईट सेमन्त हरीश

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