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An Indian Army Officer retired

Monday, May 23, 2011

" ये शौक ही है याकि तेरे बिछुड़ने की सौगात, 
आज कल महफ़िलों में मुझे बुलाने लगे हैं लोग, 
मेरी गज़ल गुनगुनाने लगे हैं लोग, 
अब तुम्ह्रारे नाम से मुझे सताने लगे हैं लोग, 
पहचानने लगे हैं लोग... 
दिल शीशा, टूटा तो खनका.. 
बिखरा तो लोग मुझसे सम्हलकर चलने लगे...
चलो इसी बहाने सबने देखा तो सही मेरी ओर......"

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