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An Indian Army Officer retired

Thursday, June 21, 2012




नींद निगोडी कहाँ इन आँखों में,
कोसों दूर,
उड़ रही है.. उड़ गयी है... ये उसने कहा,

मैं समझाऊँ उसे,
तो दौड़ो इस तितली को पकड़ो बहुत रंग भरी होती है...
हाथ आई,
तो,
वैसे
और ना आई,
तो,
थक कर पर,
सो पाओगे ज़रूर....

इसे शौक है भीगी पलकों पर आ बैठने का,
सपने सोखने का....

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