सुनो ! दोस्त रहे हो कभी, इस लिए कहता हूँ, जिस दिन मैं बुझूँ उस दिन तो आ जाना , उस बिदाई की घड़ी की कुछ रस्में तुम भी निभा जाना , अब तक जितना भी कुछ भला-बुरा, मेरे हिस्से का, गिना हो तुमने, कोई बात नहीं, मैं 'दुश्मन' अब ना रहा, इतनी 'तस्सल्ली' ज़रूर पाकर जाना ....
Hurt touching sir ji------- allll time superb
ReplyDeletePurnima
Very emotive Semant sir....
ReplyDeleteवाह!!! बहुत गहरा संदेश अब शायद कोई दुश्मन ही ना रहेगा।
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