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An Indian Army Officer retired

Sunday, January 20, 2013

मैं ! ओस की बूँद.....


मैं ! ओस की बूँद,

बहुत झुलसी तुम्हारी प्रीत में,


अनंत में उठी बादल बनी,


मेरे आकाश !


लो मैं फिर लौट आयी तुम्हारी बाँहों में.... 


बस यूँ ही... हमेशा की तरह....!


© कापीराईट सेमन्त हरीश 'देव'


मेरी पुस्तक 'बस यूँ ह़ी...!' से....

2 comments:

  1. bahut ! bahut!! bahut!! hii aacha ! likha hai aapney!!

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  2. शब्दों की जादूगरी से सपनों को जाता एक रास्ता...

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