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An Indian Army Officer retired

Monday, August 1, 2011

पर मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता....



तुम्हारा कुछ कहना मेरा कुछ ना कहना
तुम्हारा कुछ न कहना, मेरा रूठ जाना 
तुम्हारा हर बार मुझे मनाना
फिर सोचती हूँ,  
ये स्वप्न हर रात क्यों बोती हूँ ,
क्यों रोती हूँ 
ये तो नहीं कहूंगी, जीवन में स्नेह की कमी है...
पर मुझे कहीं, कुछ अच्छा नहीं लगता....

5 comments:

  1. Anonymous ..... कुछ कहते तो अच्छा लगता...

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  2. तुम्हारा कुछ कहना मेरा कुछ ना कहना
    तुम्हारा कुछ न कहना, मेरा रूठ जाना

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  3. ओर भी जिन्हें कोई मनाता न होगा
    ओर भी जिन्हें कोई बुलाता न होगा
    आप रूठने और मानाने की बात करते हैं
    वो तो सदियों से ही अकेले हैं

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  4. just awesome! bahut hi acha likhtey hai aap! gazab!

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