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An Indian Army Officer retired

Monday, August 1, 2011

मुझे रात का खत्म होना अच्छा नहीं लगता....


ये पल झरनों से बहते हैं रात भर
पानी में तुम्हारा हाथ थामें,
जब जब मैंने पैर छप छपाए, तब हर बार खूब भीगी हूँ मैं,
रात के स्वप्न रोज़ नए,
सुबह का सच एकरस, नीरस
तुम मुझे "सुबह" कहते हो,
पर मुझे रात का.......
ख्वाब का ...
खत्म होना अच्छा नहीं लगता....  

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