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An Indian Army Officer retired

Friday, July 20, 2012

सूद.....!

बहुत कुछ छुपाना चाहा है,
ज़िदगी के पन्नों में,
पर छिपता नहीं,
बात अपने हिसाब की, किताब की है,
उधार लिया भी अपनों से ,
उधार दिया भी अपनों ने,
(क़र्ज़ उनकी उम्मीदों का),

मैं किस कदर बोझिल, ये किस से कहूँ !
सूद में हर रोज़ जिन्दा रहती हैं, मुझसे की गयी अपेक्षाएं....

बढ़ बढ़ कर उठ आता हैं,
मेरे रिश्तों से उठी अपेक्षाओं का सूद ....

ये रिश्तों की उधार सिर्फ मेरे सर ही क्यों....
सिर्फ इस लिए कि, मैं एक स्त्री....?

रिश्तों के फ़र्ज़ से दबी मेरी ज़िंदगी
आज तुमसे कुछ मांगती है,
इस बार मुझसे अपने सूद में मेरी अपेक्षाएं ले लो.....!

बस यूँ ही.... एक बार ऐसा करो,
अपने इस रिश्ते के उधार के सूद में,
इस बार,
इस बार ! मुझसे, अपने सूद में, 'मेरी अपेक्षाएं’ ले लो.....!


© 2012 कापीराईट सेमन्त हरीश 'देव'

14 comments:

  1. आदरणीय डॉ. साहेब,
    धन्यवाद आपका...
    आप मेरी दीवार से होकर गुज़रे कुछ वक्त बिताया, मेरे ख्यालों के साथ.....
    ये वो जगह , यहाँ साये में धूप खिलती है,
    यहीं एक दूकान फूटपाथ पर लगा रखी है..
    अपनी हर चीज़ खुले में बिछा रखी है...बस यूँ ही.....नमन साहिब...

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  2. उम्दा ऱचना :

    जिंदगी
    हिसाब किताब
    मूल सूद
    सब छिप गया
    क्या स्विस बैंक
    यहाँ भी खुल गया?

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    1. This comment has been removed by the author.

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    2. आदरणीय सुशील जी, आभार आपका..... नमन....

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  3. बहुत खूबसूरत रचना सर.
    आपने नारी मन को बखूबी समझा.....
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

    सादर
    अनु

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    1. आदरणीय अनु जी..... आभारी हूँ.... धन्यवाद... नमन सेमन्त 'देव'

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  4. शब्दों की जादूगरी से नारी की मनोदशा का बहुत ही सुन्दर चित्र खींचा है बहुत बहुत अधिक पसंद आया आपको बधाई

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    1. नमन राजेश जी.... धन्यवाद.... 'देव'

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  5. जिंदगी में हिसाब रख पाना मुश्किल है ..

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  6. Beautiful portrayal of women’s pain!

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  7. very beautifully written.
    how u understand a female's pain?

    regards,
    http://meenakshi2012.blogspot.in/

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  8. संवेदनात्मक अभिव्यक्ति की उत्कृष्टता की पराकाष्ठा !
    बेइन्तहा ख़ूबसूरत...!
    "अपने इस रिश्ते के उधार के सूद में
    इस बार ,
    इस बार ! मुझसे , अपने सूद में , 'मेरी अपेक्षाएँ' ले लो..."

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  9. नारी मनोभाव का सुंदर चित्रण।

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