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An Indian Army Officer retired

Thursday, July 12, 2012



चलो मैं आता हूँ ,
क्या फिर तुम भी बाहर आओगे?
मैं जो बरसूँ, तुम भीग पाओगे?

" क्यों नहीं ! ज़रूर, बाहर आऊँगा, 
मुझे आँख का पानी चोरी छुपे बहाना है,
हँसते, गाते, नाचते......


© 2012 कापीराईट सेमन्त हरीश 'देव'

2 comments:

  1. soooperrb! aankh ka paani cori chupey bahana hai--hanstey nachtey gaatey! too good!

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  2. उम्दा उम्दा रचना और कहने को शब्द नहीं मिल रहे हैं,!!!!

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